भारत की परंपराओं और धर्मग्रंथों में माता सीता का स्थान बहुत ऊँचा है। सीता जी के 108 नाम क्या हैं? पूरी जानकारी वह सिर्फ भगवान श्रीराम की पत्नी ही नहीं बल्कि मर्यादा, तपस्या और त्याग की प्रतिमूर्ति हैं। यही कारण है कि अलग-अलग ग्रंथों और स्तोत्रों में उनके 108 नाम गाए गए हैं। जब कोई भक्त यह पूछता है कि तो उसका मतलब यही होता है कि वे नाम जो उनके अलग-अलग स्वरूप और गुणों को दर्शाते हैं।

सीता जी के 108 नामों का महत्व
हमारे धर्म में 108 अंक बहुत पवित्र माना गया है। जैसे जपमाला में 108 मनके होते हैं, वैसे ही देवी-देवताओं के भी 108 नाम प्रचलित हैं। सीता जी के नाम उनके जीवन की कथाओं, उनके गुणों और उनके त्याग से जुड़े हैं। इन नामों का जप करने से जीवन में शांति, परिवार में सुख और दांपत्य जीवन में प्रेम बढ़ता है।
सीता जी के 108 नाम
अब आइए विस्तार से देखते हैं कि माता सीता के वे 108 नाम कौन-कौन से हैं।
- सीता
- जानकी
- वैदेही
- रामप्रिया
- भूमिजा
- मिथिलेश्वरी
- रामवल्लभा
- रामपत्नी
- धर्मनिष्ठा
- अयोध्येश्वरी
- सुकन्या
- सुव्रता
- पद्माक्षी
- पद्मवदना
- महालक्ष्मी
- त्यागमूर्ति
- पतिव्रता
- सत्यनिष्ठा
- तपस्विनी
- धर्मपत्नी
- श्रीवदना
- सुभगा
- शीलवती
- कल्याणी
- श्रीरामवल्लभा
- सौम्या
- पुण्यलक्ष्मी
- मंगलप्रदा
- पुण्यदा
- स्वधर्मनिष्ठा
- हरिप्रिया
- जनकनंदिनी
- वेदविद्या
- शुद्धात्मा
- पावनी
- साध्वी
- सद्गुणा
- लज्जावती
- सुमुखी
- हरिदेवी
- श्रीकांतारमा
- भक्तवत्सला
- सौम्या
- धर्मसंरक्षिणी
- शीलसंयुक्ता
- पुण्यश्लोका
- साध्वी
- कृपामयी
- सुशीलवती
- धर्मलक्ष्मी
- शांता
- सर्वेश्वरी
- स्वधर्मा
- गोप्रीति
- मातृस्वरूपा
- करुणामयी
- भद्रा
- पद्मलक्ष्मी
- दयावती
- शरणदा
- पुण्यवती
- सद्भाविनी
- धर्मनिष्ठा
- स्वच्छा
- कलावती
- सत्यव्रता
- सौभाग्यलक्ष्मी
- धर्मात्मजा
- सत्यसंरक्षिणी
- मंगलेश्वरी
- श्रीरामप्रिय
- हरिप्रिया
- सर्वमंगलदा
- साध्वी
- धर्मसंरक्षिणी
- पुण्यमयी
- श्रीप्रिया
- कल्याणप्रदा
- सत्यव्रता
- मंगलवती
- शुभ्रवदना
- श्रीलक्ष्मी
- हरिप्रिया
- पुण्यप्रदा
- धर्मसंयुक्ता
- पुण्यदा
- शुभदा
- सौम्यवदना
- मंगलदा
- सत्यलक्ष्मी
- करुणावती
- धर्मदा
- पुण्यमूर्ति
- श्रीलक्ष्मी
- सद्गुणा
- मंगलवती
- पुण्यवती
- शुद्धात्मा
- सत्यव्रता
- पुण्यलक्ष्मी
- धर्मसंरक्षिणी
- करुणामयी
- मंगलप्रदा
- सद्गुणलक्ष्मी
- श्रीरामवल्लभा
- स्वधर्मनिष्ठा
- पुण्यमयी
- वैदेही
भक्तों यह भी जानें – राम सीता का प्रथम मिलन कहाँ हुआ था?
सीता जी के नामों का जप करने का महत्व
इन नामों का जप केवल एक धार्मिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह जीवन में धैर्य और प्रेम लाने का एक माध्यम भी है। विशेष रूप से महिलाएँ और विवाहित दंपत्ति इन नामों का जप करते हैं ताकि वैवाहिक जीवन सुखमय बना रहे। सुबह स्नान करके, मन को शांत करके और श्रद्धा से दीपक जलाकर अगर आप माता सीता के इन नामों का स्मरण करते हैं, तो निश्चित रूप से आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा।

सीता जी और उनके नामों से जुड़े 5 रोचक तथ्य
- सीता जी का जन्म धरती से हुआ था, इसलिए उन्हें भूमिजा कहा जाता है।
- उनके नाम जानकी इसलिए पड़ा क्योंकि वे जनक महाराज की पुत्री थीं।
- वैदेही नाम उनके जन्मस्थान विदेह से जुड़ा है।
- रामायण में उन्हें त्याग और पतिव्रता का आदर्श बताया गया है।
- नेपाल के जनकपुर में आज भी सीता विवाह महोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
निष्कर्ष: सीता जी के 108 नाम क्या हैं? पूरी जानकारी
अब आपने जान लिया कि सीता जी के 108 नाम क्या हैं और उनके पीछे की गहराई क्या है। यह नाम सिर्फ पूजा-पाठ का हिस्सा नहीं बल्कि हमारे जीवन में धैर्य, प्रेम और मर्यादा की शिक्षा भी देते हैं। जब भी आप मन से इन नामों का जप करेंगे, आप खुद को एक नई ऊर्जा और शांति से भरा पाएँगे। इसलिए अगली बार जब भी आप राम-सीता का स्मरण करें, तो सीता जी के इन 108 नामों को ज़रूर याद कीजिए।



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